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ऑपरेशन गंगा की शूरवीर अपनों को वतन लाईं:भाई की शादी छोड़ी, रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे छात्रों को सेफ्टी के साथ उनके घर पहुंचाया

मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, उड़ान हौसलों से होती है। आम लोग भी अपनी मेहनत और हौसले से खास बन जाते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है ‘ऑपरेशन गंगा’ की शूरवीर की।

योद्धा इसलिए क्योंकि रूस-यूक्रेन की युद्धभूमि से भारतीय छात्रों को वतन वापस लाने के लिए ये विमान लेकर लड़ाई के मैदान में जा पहुंचीं। सभी इंडियन स्टूडेंट को अपने देश वापस लाने की जिम्मेदारी बखूबी निभाई।

आज ‘ये मैं हूं’ में कैप्टन शिवानी के जीवन से जुड़े कुछ अनसुने किस्से उन्हीं की जुबानी जानते हैं।

बचपन में ही किया पायलट बनने का फैसला

मैं कैप्टन शिवानी एयर इंडिया में बोइंग-7878 पर कप्तान हूं। मुझे एयर इंडिया से जुड़े 5 साल से ज्यादा हो चुके हैं। मेरी यह खुशकिस्मती है कि मुझे उस एयर क्राफ्ट को उड़ाने का मौका मिला जिसे उड़ाने का पायलट सपना देखते हैं।

मैं एक मिडिल क्लास घर से आती हूं। आज मिलेनियम सिटी बन चुका गुरुग्राम उस समय बहुत ही छोटा शहर हुआ करता था, जहां हर कोई एक दूसरे को जानता पहचानता। सपने क्या होते हैं क्या नहीं, शायद यह देखने की इजाजत भी नहीं नहीं थी।

मैं ऐसे परिवेश में पली बढ़ी जहां एक उम्र के बाद लड़कियों की शादी कर दी जाती है। अगर नौकरी कर भी रहीं है तो आगे वो काम कर पाएंगी या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं होती। ज्यादातर यहां हाउस वाइफ ही देखने को मिलती हैं।

बचपन में ही तय कर चुकी थी कि बड़ा होकर पायलट ही बनूंगी। मेरी हमेशा से आसमान की सैर करने और बादलों को पास से देखने की ख्वाहिश रही। मैंने बचपन के इस सपने को पूरा भी किया। लेकिन इस मुकाम पर पहुंच जाऊंगी, यह सोचा नहीं था।

ऑपरेशन गंगा से मिली शोहरत

रूस और यूक्रेन के युद्ध में भारत ने छात्रों को वापस लाने के लिए भारत सरकार की तरफ से ऑपरेशन गंगा चलाया गया, इस ऑपरेशन की अगुवाई कर रही टीम में मैं अकेली ऐसी महिला थी जो 249 छात्रों को सही सलामत अपने देश लेकर वापस आई और उनके परिवारों से मिलाया।

भाई की शादी छोड़कर ऑपरेशन गंगा में शामिल हुई

उस दिन भाई की शादी थी। सारे रिश्तेदारों से घर भरा था। रस्मों का सिलसिला चल रहा था। बाराती तैयारी में जुटे थे। उस वक्त मेरे सीनियर्स ने कॉल करके पूछा कि क्या आप ऑपरेशन गंगा का हिस्सा बनना चाहेंगी। ऐसे में मैंने बिना कुछ सोचे-समझे ‘हां’ कर दी। यह चैलेंजिंग फैसला था क्योंकि उस दौरान यूक्रेन-रूस की जंग चरम पर थी।

इस फैसले में पेरेंट्स ने भी साथ दिया। हालांकि माता-पिता होने के नाते उन्हें टेंशन जरूर था, लेकिन उनका कहना था कि ‘तुम सिर्फ स्टूडेंट्स को वापस नहीं ला रही हो बल्कि बच्चों को उनके परिवार से मिलाने का पुण्य कमा रही हो। जाओ और सुरक्षित लौटो’। इस ऑपरेशन के दौरान टीम में 15 लोग थे, जिसमें 5 पायलट, 7 केबिन क्रू और 3 इंजीनियर शामिल थे।

जब हम यूक्रेन पहुंचे तो वहां मौजूद छात्रों के चेहरे पर एक उम्मीद की किरण नजर आई। छात्रों को इस बात का भरोसा दिलाया कि वह सही सलामत अपने घर जरूर पहुंचेंगे। जब बुडापेस्ट से दिल्ली वापस आए तो वहां मौजूद हर शख्स ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ हौसला अफजाई की और बच्चों के पेरेंट्स से हमें बहुत दुआएं मिलीं।

ट्रेनिंग के लिए 35 लाख का लोन लिया, 8 साल रही बेरोजगार

पापा ने मुझे दो ऑप्शन दिए, जिसमें मैं आगे बढ़ सकती थीं। इनमें से एक था मीडिया इंडस्ट्री और दूसरा मेरे बचपन का सपना पायलट बनना। मैंने बचपन के सपने को अहमियत देते हुए पायलट बनने का फैसला किया, जिसमें परिवार ने भी पूरा साथ दिया।

पायलट बनने के लिए सामने सबसे बड़ी चुनौती थी पैसा। इस दौरान पापा ने मेरे सपने को पूरा करने के लिए 35 लाख का लोन ले लिया।

मैं लाइसेंस लेने के समय काफी खुश थी, क्योंकि उसके बाद मैं ऑफिशिअली प्लेन उड़ा सकती थी, लेकिन लाइसेंस मिलने के बाद मुझे मेरा हक नहीं मिल पाया। उस दौरान एविएशन इंडस्ट्री के लोगों की जॉब जाने लगी, जिससे नौकरी नहीं मिली। अब चिंता थी कि पढ़ाई के लिए लिया गया लोन कैसे चुकाऊंगी। वह समय मेरे लिए बहुत मुश्किल से भरा था क्योंकि इतनी बड़ी रकम का लोन चुकाना और जॉब भी ना मिल पाना बहुत बड़ी समस्या थी। ऐसे में मैं इवेंट मैनेजमेंट की कंपनी में काम कर अपना लोन चुकाने लगी। अक्सर 10-12 घंटे इवेंट में खड़े होकर काम करने के बाद सिर्फ एक हजार रुपया मिलता।

सोशल मीडिया पर 6 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स

स्टाइल और फैशन के लिए भी काफी फेमस हूं। 12वीं पास करने के बाद एक लोकल टीवी न्यूज चैनल के लिए न्यूज रीडिंग का काम भी किया। मैं कॉमन फील्ड में नहीं जाना चाहती। सोशल मीडिया पर फैशन और ब्यूटी कंटेंट को लेकर मेरी अच्छी फैन फॉलोइंग है। इंस्टाग्राम पर करीब 6 लाख फॉलोवर्स हैं।

मुझे पायलट की यूनिफॉर्म बहुत अट्रैक्टिव लगती है, इसलिए मैं ऐसी जॉब में जाना चाहती थी, जहां मुझे यूनिफॉर्म पहनने का मौका मिले।

पर्सनल लाइफ की बात करें तो मुझे स्टाइलिश और मॉडर्न ड्रेस पहनना ज्यादा पसंद है। मेरा कोई खास डिजाइनर नहीं है, लेकिन मेरा परफेक्ट फैशन सेंस हैं, इसलिए मुझपर हर ड्रेस अच्छी लगती है। मैं हमेशा कलर कॉम्बिनेशन, एसेसरीज, ज्वेलरी मैच करके पहनती हूं, जिससे किसी भी ड्रेस में मैं स्मार्ट लगूं।

फिटनेस फ्रीक हूं

मेरी जॉब में फिटनेस काफी अहमियत रखती हैं। ऐसे में कभी जिम जाने का समय नहीं मिलता तो मैं घर पर ही एक्सरसाइज करती हूं। ड्यूटी के दौरान घर या पर्सनल सारी परेशानियों को छोड़कर माइंड बिल्कुल फ्रेश रखना पड़ता है। हर साल मेडिकल टेस्ट होता है, जिसमें फिजिकल फिट होना काफी जरुरी होता है। जिम जाने के साथ डाइट का भी खास ख्याल रखती हूं। डाइट में हेल्दी फूड्स और सलाद और प्रोटीन फूड भी लेती हूं और आसमान में अपना सपना जीती हूं।

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