भोज वेटलैंड (बड़ा तालाब), नर्मदा समेत प्रदेश के किसी भी वाटर बॉडीज में क्रूज और मोटर बोट के संचालन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने रोक लगा दी है। एनजीटी ने इसे अवैध गतिविधि ठहराते हुए बड़ा तालाब में क्रूज का संचालन बंद करने के आदेश दिए हैं।
एनजीटी ने डीजल और डीजल इंजन से निकलने वाले उत्सर्जन को इंसानों समेत जलीय जीवों के लिए खतरा घोषित किया है, क्योंकि इससे उत्सर्जित सल्फर और नाइट्रोजन आॅक्साइड पानी को एसिडिक बना देता है। यह इंसानों और जलीय जीवों दोनों के लिए कैंसरकारी है।
भोज वैटलेंड के लिए जारी यह आदेश नर्मदा नदी समेत प्रदेश की सभी प्रकार की वेटलैंड पर लागू होगा। वेटलैंड उन्हें कहा गया है- जिनका इस्तेमाल पेयजल आपूर्ति, खेतों में सिंचाई और जलीय कृषि के लिए किया जाता है। एनजीटी ने राज्य सरकार को 3 माह के भीतर इस आदेश का पालन सुनिश्चित कर कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।
जस्टिस सुधीर अग्रवाल और एक्सपर्ट अफरोज अहमद की जूरी ने बीयू के पूर्व प्रोफेसर डॉ. सुभाष पांडेय की याचिका पर यह आदेश दिया है। याचिका में मप्र के प्रमुख वन संरक्षक को आदेश दिया है कि नेशनल पार्क के इको सेंसेटिव जोन, वन भूमि पर मौजूद वेटलैंड या वाइल्ड लाइफ के लिए आरक्षित किसी भी जलीय संरचना में क्रूज या मोटर बोट संचालित की जा रही हों तो तत्काल इनका संचालन रुकवाने और इन पर कार्रवाई सुनिश्चित करें।
बड़े तालाब में एक मरीन क्रूज जलपरी संचालित है। एनजीटी ने कहा है कि भोज वेटलैंड के इन्फ्लुएंस या बफर जोन में आने वाले क्रूज या मोटर बोट से जुड़े स्ट्रक्चर को हटाया जाए। इसके लिए वाटर एक्ट 1974, एयर एक्ट 1981 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत किसी भी वैधानिक संस्था से मंजूरी नहीं ली गई है। यह पूरी तरह अवैध गतिविधि है।
125 हॉर्स पावर के ड्यूल डीजल इंजन वाले इस क्रूज से अनबर्न्ड हाइड्रोकार्बन, कार्बन डाई आॅक्साइड और नाइट्रोजन आॅक्साइड पानी में उत्सर्जित करना पाया गया। इसकी डीजल टैंक भी निचले तल में हैं, जिससे रिसाव पाया गया। यह 80 सीटर क्रूज है।