शहर में टमाटर 140 से 240 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है। दामों में लगातार तेजी की वजह से ज्यादातर लोगों ने तो टमाटर खरीदना ही छोड़ दिया है। एक महीने पहले भोपाल में रोज 15 से 20 ट्रक टमाटर की खपत होती थी, जो अब घटकर 3-4 ट्रक पर आ गई है। हालांकि अगले 20 दिन यानी अगस्त अंतिम सप्ताह से लोकल फसल मंडी में आने के बाद टमाटर के दाम घटने लगेंगे।
भोपाल की सबसे बड़ी करोंद मंडी में टमाटर के थोक विक्रेता व्यापारी आरके सैनी ने बताया कि भोपाल में टमाटर महाराष्ट्र की पुणे, पिपलगांव और कर्नाटक की कोलार, बंगारपेट मंडियों से आ रहा है। मार्च-अप्रैल में बेमौसम बारिश से टमाटर की फसल खराब हो गई थी। तब किसानों को 3 से 5 रुपए प्रति किलो का दाम भी नहीं मिल रहे थे। किसानों ने खेतों में टमाटर नष्ट कर दिए। इसके बाद भाव बढ़ने लगे। बिट्टन मार्केट व्यापारी संघ के अध्यक्ष हरिओम खटीक कहते हैं कि 1 और 2 अगस्त को टमाटर 240 रु. किलो तक थे।
आम दिनों में करोंद
मंडी में 30 से 40 ट्रक
आम दिनों में करोंद मंडी में 30 से 40 ट्रक टमाटर के आते थे। 15 मई के बाद लोकल टमाटर की आवक करीब बंद हो जाती है। इस दौरान 20 से 25 ट्रक माल आने लगता है। 15 से 20 जुलाई के बीच तक 15 से 20 ट्रक टमाटर करोंद मंडी में आ रहे थे। 25 जुलाई के बाद आवक घटकर सीधे 3 से 4 ट्रक पर आ गई।
पहली फसल- किसानों की मानें तो दिसंबर में रोपाई करते हैं। ये ढाई महीने में तैयार हो जाती है। फरवरी के बाद भोपाल में लोकल टमाटर की बंपर आवक होती है। ये फसल मई के पहले सप्ताह तक चलती है। तापमान 40 डिग्री से पार पहुंच जाता है तो फसल नष्ट होने लगती है।
दूसरी फसल- 20 जून से दोबारा किसान टमाटर की रोपाई शुरू कर देता है। ये फसल अगस्त के अंत से लेकर सितंबर के पहले सप्ताह तक मार्केट में आ जाती है। इस दौरान टमाटर की आवक लोकल और प्रदेश के बाहर से बढ़ने पर दाम अचानक से नीचे आ जाते हैं।