गांधी मेडिकल कॉलेज की जूनियर डॉक्टर बाला सरस्वती की सुसाइड केस के बाद जूडा आक्रोशित है। बुधवार की दोपहर करीब 3:30 बजे एचओडी को हटाने की मांग को लेकर जूडा ने डीन से मुलाकात की। डीन अरविंद कुमार राय के आॅफिस परिसर में छात्राएं अपनी पीड़ा सुनाते हुए रो पड़ीं। डॉ. कविता कुमार की समझाइश के बाद छात्राएं शांत हुई। हालांकि शाम करीब 7:30 बजे डिपार्टमेंट की एचओडी अरुणा कुमार को पद से हटा दिया गया।
बाला सरस्वती के साथ काम करने वाले अन्य डॉक्टर्स ने पुलिस को एक बॉक्स सौंपा था, जिसमें उन्होंने डिपार्टमेंट में स्वयं के साथ होने वाली प्रताड़ना का जिक्र किया है। इन बेनामी पत्रों में जिस तरह के मजमून लिखे हैं, इन्हें पढ़ कर पुलिस भी हैरान है। इनमें किसी ने लिखा कि वांट मेजर चेंज गायनिक डिपार्टमेंट (गायनिक डिपार्टमेंट में बड़ा बदलाव चाहिए) सीनियर डॉक्टरों की प्रताड़नाओं से थक चुके हैं। इस जहरीले माहौल में सर्वाइव करना मुश्किल हो चुका है। इसकी खास वजह डिपार्टमेंट की पांच जिम्मेदार महिला डॉक्टर हैं। जीएमसी के एक जूनियर डॉक्टर ने साफ लिखा कि जहरीला माहौल रहने लायक नहीं। इस पत्र में पांच महिला डॉक्टरों के नाम का उल्लेख किया गया है।
मानसिक प्रताड़ना ने थकाया
एक चिट्ठी में लिखा गया कि मैंटल हिरासमेंट से थक चुके हैं। विभाग की जिम्मेदार डॉक्टर्स के जहरीले बोल दिल पर लगते हैं। एक छात्रा ने विभाग की सात महिला डॉक्टरों के नाम का उल्लेख करते हुए दी जाने वाली मानसिक प्रताड़ना का जिक्र किया है। इसमें कहा गया है कि हम अच्छे परिवारों से, यहां कुछ सीखने आए हैं। हमसे अच्छा बर्ताव और अच्छे संबंध सीनियर डॉक्टरों को करना चाहिये।
डॉक्टर्स देती हैं गाली
एक अन्य चिट्ठी में लिखा गया है कि हमें बेइज्जत किया जाता है। लेबर रूम में डॉक्टर्स गाली देने से लेकर पीटते तक हैं। हम अच्छे परिवार से हैं। हम पढ़ने आए हैं। प्रताड़ना सहने नहीं, लेकिन कुछ कर नहीं सकते…हमारा रिजल्ट इन्ही के हाथ में जो है।
पहले ही दिन लेबर रूम में पीटा
एक डॉक्टर ने लिखा मुझे पहले ही दिन लेबर रूम में पीटा गया। बहुत डिप्रेशन में चली गई थी, पर देखा की इन लोगों को किसी के तनाव से कोई मतलब नहीं है। सिखाने के नाम पर पीटना ठीक बात नहीं। कई बार मुझे इक्युप्मेंट्स से तक पीटा गया है। अपशब्द कहे जात हैं।
एसीपी ने यह बताया
मामले की जांच कर रहे एसीपी उमेश तिवारी ने बताया कि पत्रों में अलग-अलग आरोप छात्रों की ओर से लिखे गए हैं। हालांकि कोई सामने आकर शिकायत करने को तैयार नहीं है। कई छात्रों को बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया, थाने आकर बयान दर्ज कराने के लिए भी कोई तैयार नहीं है। डॉक्टर बाला सरस्वती के जूनियर डॉक्टर ने बताया कि शुक्रवार को उन्होंने सरस्वती मैडम के साथ ड्यूटी की थी। तब वह किसी प्रकार के तनाव में नहीं लगी। सामान्य बर्ताव था, ग्रुप के साथ उन्होंने तस्वीर भी खिंचाई थी। मुझे कभी गुमान भी न था कि यह उनके साथ आखिरी तस्वीर होगी।