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आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट में लगी आईटी मशीन खराब, नहीं हो रहे मेजर आॅपरेशन

एमवाय अस्पताल के हड्डी विभाग की ओटी में लाखों रुपए की लागत से तीन आईटी मशीन लगाई गई है। इसमें से एक मशीन पिछले एक माह से बंद पड़ी है, वहीं दो मशीन को बार-बार रिपेयर कर डॉक्टर काम चला रहे हैं, जिसके चलते हड्डी के जुड़े कई मेजर आॅपरेशन नहीं हो पा रहे हैं। पहले दस से पंद्रह आॅपरेशन प्रतिदिन होते थे, वहीं अब एक या दो आॅपरेशन भी बमुश्किल से हो रहे हैं, जिसके कारण कई मरीज आॅपरेशन नहीं होने के कारण बाहर इलाज करा रहे हैं तो कुछ लंबा इंतजार कर रहे हैं। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने बताया कि पिछले एक साल से इस तरह की समस्या आ रही है। इस संबंध चार-पांच बार डीन को बता चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। भर्ती मरीज के परिजन ने बताया कि उसके भाई का पैर का आॅपरेशन होना है, लेकिन डॉक्टर हर बार दो-तीन दिन का बोल रहे हैं, लेकिन अब तक नहीं हुआ है। पिछले एक सप्ताह से भर्ती हैं।
यहां होता है उपयोग
इस मशीन का उपयोग हड्डी के आॅपरेशन करते समय किया जाता है। आॅपरेशन के दौरान इस मशीन से देखा जाता है कि पैर या हाथ में जो रॉड डाली जा रही है, वह ठीक से लगी है या नहीं। एक तरह से एक्स-रे की तरह काम करती है। मशीन खराब होने के कारण माइनर आॅपरेशन डॉक्टर अंदाज से कर रहे हैं।

समय पर नहीं आते इंजीनियर
एमवाय अस्पताल में एचएलएल कंपनी को मेंटेनेंस का ठेका दिया है। ठेका देते समय ये शर्तें थीं कि कंपनी खराब मशीन होने पर एक सप्ताह में इसे ठीक करके देगी। यदि कंपनी ऐसा नहीं करती है तो उसे पेनल्टी देनी होगी। साथ ही कंपनी का एक इंजीनियर इंदौर में रहेगा, लेकिन यहां कोई इंजीनियर नहीं है। मशीन खराब होने पर इंजीनियर भोपाल या दिल्ली से आते हैं, जिसके चलते इससे रिपेयर होने में एक-दो सप्ताह इंतजार करना पड़ता है। वहीं अभी तक कंपनी पर कोई पेनल्टी नहीं लगाई गई है।

नहीं हो रही इम्प्लांट सर्जरी
हड्डी से जुड़ी कोई भी सर्जरी जिसमें प्लेट्स या रॉड डाली जाती है। इसे इम्प्लांट सर्जरी कहते हैं। इस मशीन के आॅपरेशन के दौरान डाली गई प्लेट्स को पांच से छह बार मशीन से देखते हैं कि वह सही बैठी की नहीं, लेकिन मशीन खराब होने के कारण यह सर्जरी नहीं हो पा रही है।

इनका कहना है…
हां, वहां के एचओडी ने हमें मशीन खराब होने की बात बताई है। संबंधित कंपनी को रिपेयर को कहा है। जहां तक कंपनी पर पेनल्टी की बात है, वह एचओडी यदि लिखकर देते हैं तो अवश्य लगाई जाएगी। संभावना है कि मशीन एक सप्ताह में चालू हो जाएगी।
ल्ल डॉ. संजय दीक्षित, डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज

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