गुरुसिंघ सभा के चुनाव के साथ खालसा कॉलेज पर आधिपत्य की लड़ाई भी चल रही है। एमबी खालसा कॉलेज एजुकेशन सोसायटी के चुनाव तो 20 साल से नहीं हुए हैं। गुरुसिंघ सभा चुनाव पश्चात अकाल तख्त संगत के चुनाव का फरमान जारी कर सकता है। गुरुसिंघ सभा के सभी सदस्य मतदाता इस सोसायटी चुनाव में भी मतदान करेंगे। शैक्षणिक जगत में कभी इस संस्था का खूब नाम था, लेकिन कॉलेज संचालन से अधिक अपने हित साधने, सोसायटी का पैसा अन्य कार्यों में खर्च करने जैसी आर्थिक अनियमितताओं के मामलों में एजुकेशन सोसायटी अध्यक्ष चरणजीत सिंह सैनी भी न्यायालयीन विवादों में फंसे हुए हैं। इस संस्था के सचिव बॉबी छाबड़ा हैं। खालसा कॉलेज एजुकेशन सोसायटी के खिलाफ निरंतर मिल रही शिकायतों के निराकरण के लिए अकाल तख्त अमृतसर ने शिकायतकर्ता मोनू भाटिया के साथ ही बॉबी छाबड़ा सहित सोसायटी के पदाधिकारियों और गुरुसिंघ सभा अध्यक्ष रिंकू भाटिया को भी बुलाया था। सैनी और बॉबी के आधिपत्य वाली इस सोसायटी के विरुद्ध शिकायतें कर चुके रिंकू भाटिया का जत्थेदार के सामने चर्चा के दौरान चुप्पी साधे रहना एक तरह से बाबी के साथ पैक्ट के संकेत माने गए जबकि मोनू सिलसिलेवार अनियमितता गिनाते रहे। इस सोसायटी से जुड़ा रोचक तथ्य यह भी है कि गुरुसिंघ सभा के अध्यक्ष रिंकू भाटिया ने अनियमितता को लेकर पहले खूब शिकायतें की, लेकिन अब रिंकू-बॉबी में बन रही इलेक्शन फ्रेंडशिप को समझने वाले मान रहे हैं कि इन दोनों की पेनल एक हो सकती हैं। गुरुसिंघ सभा के 12 साल पहले हुए चुनाव का रोचक तथ्य यह भी कि तब खालसा पेनल के सर्वेसर्वा इंदर छाबड़ा ने गुरदीप सिंह भाटिया को पेनल से अध्यक्ष का चुनाव लड़ाया था, लेकिन रिंकू भाटिया की खंडा पेनल का जब गुरुसिंघ सभा पर कब्जा हो गया उसके बाद गुरदीप भाटिया खालसा पेनल से अलग हो गए थे। वे यहां अध्यक्ष का चुनाव जरूर हारे, लेकिन समाजसेवा के कार्यों का अकाल तख्त पर प्रभाव का ही नतीजा रहा कि उन्हें मप्र-छग के गुरुद्वारों की प्रबंध समिति के अध्यक्ष का दायित्व मिल गया। कुछ वर्षं पूर्व अमृतसर से लौटते वक्त हार्ट अटैक के चलते रास्ते में ही उनका निधन हो जाने के बाद अकाल तख्त ने मोनू भाटिया को मप्र-छग के गुरुद्वारों की प्रबंध समिति का अध्यक्ष मनोनीत कर दिया था। अब मोनू खुद और बाकी पदाधिकारियों को फतेह पेनल के बैनर से चुनाव लड़ा रहे हैं।
वर्ष 2000 से अब तक कमेटी के चुनाव नहीं
मंडी भावदीन हायर सेकंडरी स्कूल कमेटी (एमबी खालसा कॉलेज) के चुनाव 15 जून 1997 को हुए थे। तीन साल का कार्यकाल था, जो वर्ष 2000 में खत्म हो गया। सचिव बॉबी छाबड़ा ने साधारण सभा बुलाकर कार्यकाल छह माह के लिए बढ़ा दिया। उस वक्त 10 हजार सदस्य थे, लेकिन नियमों में बदलाव कर बॉबी ने समाज के 10वीं पास को भी सदस्य बनने का प्रावधान के साथ ही एमबी खालसा हायर सेकंडरी स्कूल का नाम बदलकर खालसा एजुकेशन सोसायटी रख दिया। इस नियम के कारण सिर्फ 2 हजार सदस्य ही बचे। ये बॉबी गुट के थे। 8 हजार सदस्य बाहर हो गए। कमेटी सदस्यों का कार्यकाल तीन साल और कमेटी का कार्यकाल पांच साल कर दिया। वर्ष 2000 से अब तक कमेटी के चुनाव नहीं हुए हैं। श्री गुरुसिंघ सभा के सदस्य जगजीतसिंह टुटेजा बॉबी की पोलपट्टी के विरुद्ध शिकायतों में खालसा कॉलेज पर रिसीवर बैठाने और आर्थिक अनियमितताओं की जांच की मांग करते रहे हैं। शिकायतकर्ता टूटेजा ने चर्चा में बताया तीनों पैनल के प्रमुखों के साथ ही जत्थेदार रगवीर सिंह जी ने मुझे भी अमृतसर बुलाया था मेरी सारी शिकायतों पर खालसा सोसायटी के पदाधिकारियों से पूछताछ भी की आश्वस्त किया है कि श्री गुरुसिंह सभा के चुनाव के बाद ये सोसायटी के चुनाव की तारीख भी घोषीत करेंगे।