राजधानी में लो फ्लोर बसों की मनमानी की वजह से सड़कों पर जाम की नौबत बन रही है। यात्रियों को बैठाने के चक्कर में चालक बस को कहीं भी रोक देते हैं, इससे राहगीरों को दुघर्टना का डर भी बना रहता है। इधर, मुख्य बस स्टापों पर एक साथ कई बसें खड़ी होने से सड़क पर राहगीरों के चलने की जगह भी नहीं बचती है। महाराणा प्रताप नगर, रोशनपुरा, पालीटेक्निक और ज्योति टॉकीज समेत अन्य मुख्य चौराहों पर स्थित स्टाप में एक ही समय में आधा दर्जन से अधिक बसें खड़ी होती हैं। जिससे सड़कों में जाम लगता है। अन्य वाहनों के निकलने के लिए जगह नहीं बचती। इसके बावजूद लोगों की परेशानी को दरकिनार कर बीसीएलएल के बस चालक यात्रियों को बिठाने की होड़ में लगे रहते हैं। चौराहे पर खड़े ट्रैफिक पुलिस के जवान भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते। हालांकि दो वर्ष पहले ट्रैफिक पुलिस ने बसों की वजह से ट्रैफिक जाम लगने वाले स्थानों का सर्वे कराया था। बस आॅपरेटरों को चेतावनी दी थी कि एक ही समय में स्टाप पर दो से अधिक बसें नहीं खड़ी होनी चाहिए। कुछ समय तक तो बस आपरेटरों ने इसका पालन किया, लेकिन एक माह के अंदर ही यह व्यवस्था भी चरमरा गई।
बोर्ड आॅफिस से चेतक ब्रिज तक लगता है जाम -वैसे तो ये समस्या पूरे शहर की है। फिर भी लो फ्लोर बस के चालकों की वजह से सबसे अधिक परेशानी बोर्ड आफिस से चेतक ब्रिज तक होती है। सुबह और शाम पीक आॅवर्स में बोर्ड आफिस से चेतक ब्रिज तक 15 से 20 बसें सड़कों पर खड़ी होती है। जिससे लंबा जाम लगता है। सड़क संकरी होने से दूसरे वाहनों के निकलने की जगह नहीं मिलती है।
पीआइएस सिस्टम फेल, नहीं मिलती बसों की सूचना – बीसीएलएल कंपनी द्वारा बसों की रियल टाइम मानीरिंग और यात्रियों को इसकी सूचना देने के लिए बस स्टापों पर पीआइएस (पब्लिक इंफार्मेशन सिस्टम) लगाया गया था। जिससे डिजिटल बोर्ड में स्टाप पर आने वाली बसों की जानकारी मिलती थी। लेकिन बीते आठ माह से यह भी बंद है। ऐसे में यात्रियों को बस के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। अधिकारी सभी लो फ्लोर और मिडी बसों में जीपीएस सिस्टम लगा होने का दावा करते हैं। आपरेटरों का कहना है कि सभी बसों में जीपीएस लगा होने से यात्री और चालक बसों को ट्रैक कर सकते हैं। लेकिन इन बसों में लगा जीपीएस बंद रहता है।