हिन्दुस्तान मेल, भोपाल।
गांधी मेडिकल कॉलेज (ॠटउ) के गायनिक डिपार्टमेंट की ऌडऊ रहीं डॉ. अरुणा कुमार के टॉर्चर के कई मामले सामने आ रहे हैं। डिपार्टमेंट में उनकी तूती बोलती थी। उनके खौफ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले छह साल में तीन जूनियर डॉक्टर डिग्री अधूरी छोड़ चुके हैं। एक जूनियर डॉक्टर पिछले दो महीने से एब्सेंट है। हिम्मत जुटाकर एक डॉक्टर ने डीन, राज्यपाल, डीएमई और प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग तक से शिकायत की, लेकिन कोई जांच या कार्रवाई नहीं हुई।
पीड़ित डॉक्टर ने बताया कि कॉलेज जाने के बावजूद डॉ. अरुणा रजिस्टर में गैर हाजिरी लगाती थीं। डर था कि ये डिग्री पूरी नहीं करने देंगी। डॉ. अरुणा का खौफ इतना था कि कोई भी उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता था। यह गायनिक नहीं, बल्कि डॉक्टरों के लिए टॉर्चर विभाग है। इनके अलावा दो और डॉक्टरों ने पीजी की डिग्री पूरी नहीं की थी। इनमें एक छत्तीसगढ़ में कार्यरत है, जबकि दूसरे डॉक्टर ने दोबारा एग्जाम देकर रेडियोलॉजी सब्जेक्ट से पीजी कम्प्लीट की। इधर, तीसरे दिन शुक्रवार को भी जीएमसी के बाहर जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर डटे हुए हैं। मूलत: मालवा क्षेत्र का रहने वाला हूं। चेन्नई से टइइर की डिग्री की। साल 2015 में नीट पीजी में मध्यप्रदेश कोटे से 15वीं रैंक हासिल की। पहले राउंड की काउंसलिंग में गांधी मेडिकल कॉलेज की गायनिक डिपार्टमेंट में पीजी डिग्री की सीट अलॉट हुई। अलॉटमेंट लेटर के साथ कॉलेज में एडमिशन की औपचारिकता पूरी की। इसके बाद कॉलेज जॉइन कर लिया……..