बाइक पर पति के साथ जा रही महिला का पल्लू पिछले पहिए में आ गया था। इस दौरान गोद में बैठी बच्ची का भी हाथ पहिए में आ गया। कई बार पहिया घूमने से बच्ची का हाथ धड़ से अलग हो गया। कटा हुआ हाथ लेकर परिवार इंदौर आए, लेकिन यहां डॉक्टर भी हाथ नहीं जोड़ सके। बच्ची का हौसला किसी योद्धा से कम नहीं। इसी दम पर उसकी जान बचा ली गई है। दो दिन बाद हालत में सुधार है।
जानकारी के अनुसार घटना 15 अगस्त को खरगोन के पास घट्टी गांव के पास दोपहर 12.30 बजे हुई थी। राकेश सोलंकी निवासी भगवानपुरा पत्नी सलिला व चार वर्षीय बेटी अंशिका के साथ बाइक पर खरगोन के पास एक रिश्तेदार के यहां जा रहे थे, तभी सलिला का साड़ी का पल्लू बाइक के पिछले पहिए में फंस गया। चूंकि बाइक चल रही थी इसलिए पल्लू के साथ मासूम अंशिका गिरी और उसका बायां हाथ पहिए में आ गया। इसके पहले कि राकेश कुछ समझते तब तक तीन-चार बार पहिया घूमने से अंशिका का हाथ कोहनी से अलग हो गया। हादसा इतना भयावह था कि दंपति बदहवास हो गए। राहगीरों ने बच्ची और कटे हाथ को उठाया। तुरंत खरगोन के प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए। यहीं से कटे हुए हाथ को बर्फ में रखवाया और ड्रेसिंग कर बच्ची को इंदौर रैफर कर दिया। इस बीच रास्ते में गाड़ी खराब हो गई तो दूसरी गाड़ी में लेकर यहां प्राइवेट हॉस्पिटल तक लाया गया। जब डॉक्टरों ने बच्ची के कटे हाथ को देखा तो पता चला कि वह कटा नहीं है, बल्कि धड़ से उखड़कर अलग हुआ है। कंधे के 2 इंच आगे से उखड़ गया था। इतनी उम्र के बच्चों की मांसपेशियां, हड्डियां सहित सारे आॅर्गन्स बहुत कोमल होते हैं। दुर्घटना के दौरान पहिया कई बार घूमने से बच्ची का हाथ ऐसा उखड़ा था कि शरीर छिन्न-भिन्न था तथा नसेंं लटक रही थीं। कंधे से भी कटे हुए हिस्से में चार फ्रेक्चर थे। बच्ची का काफी खून बह गया था। बच्ची की हालत और कटा हाथ जिस स्थिति में था, ऐसे में बड़ों का भी हाथ जोड़ना संभव नहीं हो पाता क्योंकि वह पूरी तह उखड़ा हुआ था।
उसके घाव का ड्रेसिंग किया गया। इसके साथ ही जांचें कराई गई और ट्रीटमेंट दिया गया। 16 अगस्त को बालिका के घाव की क्लोजिंग सर्जरी की गई ताकि भविष्य में नकली हाथ लगाया जा सके। इसके साथ ही उसे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।