नर्मदा में प्रदूषण के मुद्दे पर गुजरात हाई कोर्ट में लंबित जनहित याचिका की सुनवाई भोपाल में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) करेगा। गुजरात के पर्यावरणविद् कीर्तिकुमार सदाशिव भट्ट की ओर से दायर इस याचिका में नर्मदा नदी में मप्र की सीमा में मिल रहे अनट्रीटेड सीवेज, इंडस्ट्रीयल वेस्ट और गंदे नाले को रोकने की मांग की गई है। जस्टिस सुधीर अग्रवाल और डॉ. अफरोज अहमद की जूरी ने मप्र के मुख्य सचिव, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मेंबर सेक्रेटरी और एनवीडीए के उपाध्यक्ष से 10 दिन में जवाब मांगा है।
एनजीटी 20 सितंबर को सभी पक्षों की दलीलें सुनेगा। जूरी ने पाया कि इस याचिका में मप्र सरकार से नर्मदा नदी में प्रदूषित पानी मिलने से रोकने के लिए उचित कदम उठाने की मांग की गई है, लेकिन मप्र सरकार और उसकी किसी एजेंसी को पार्टी ही नहीं बनाया गया था, इसलिए एनजीटी ने स्वत: संज्ञान लेकर मप्र को पार्टी बनाया है।
इस केस में गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नर्मदा वाटर रिसोर्स वाटर सप्लाई एंड कल्पसार विभाग, गुजरात वाटर सप्लाई असेसमेंट अथॉरिटी, केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पहले से ही प्रतिवादी हैं, जो अपना जवाब गुजरात हाईकोर्ट में दे चुके हैं।