एक पत्रकार अपने जीवन को दांव पर लगाकर सच्चाई को जनता के समक्ष लाता है, लेकिन जब बात उसकी जान पर बन आए और जिम्मेदार लोग अपने कर्त्तव्य से पीछे हटे तो फिर सच्चाई का प्रहरी अपना हौसला कैसे बनाए रखे! पिछले दिनों ‘हिन्दुस्तान मेल’ के पत्रकार देवेन्द्र वाघमारे जब एक मामले में पड़ताल कर रहे थे, उसी दौरान जिला मलेरिया कार्यालय इंदौर में सुपीरियर फील्ड वर्कर चतुर्थ श्रेणी के पद पर एंटी लार्वा स्कीम में नियुक्त सूरजकुमार कटारे ने गाली-गलौज करते हुए जान से मारने की धमकी दी। पत्रकार द्वारा इसका वीडियो बना लिया गया था।
पत्रकार ने उसके बाद स्वास्थ्य विभाग और पुलिस दोनों जगह वीडियो दिखाते हुए शिकायत की, लेकिन अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। जब पत्रकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग अधिकारी सीएमएचओ बीएस सैत्या से शिकायत की गई तो उन्होंने कहा कि उन्होंने जिला मलेरिया अधिकारी इंदौर डीएमओ दौलत पटेल को जांच के लिए आपका आवेदन भेज दिया है, वहीं जब दौलत पटेल को वीडियो दिखाकर इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने यह कहकर टाल दिया कि वह कमेटी बैठाकर इसकी जांच करवाएंगे। सबूत देखने के बावजूद भी उनका यह जवाब दिखाता है कि विभाग ही अपने कर्मचारियों को सपोर्ट कर रहा है! दो-चार दिन बाद जब पत्रकार फिर पटेल से चर्चा करने पहुंचे तो वह अपने आॅफिस में उपलब्ध नहीं थे।
…तो उन्होंने पल्ला झाड़ दिया
पत्रकार ने यहां भी हार नहीं मानी और लगातार अलग-अलग पुलिस अधिकारियों से कार्रवाई का अनुग्रह किया। सबसे पहले सेंटर कोतवाली के थाना प्रभारी वीरेंद्र कुशवाहा से बात की, जिन्होंने उन्हें एक-दो दिन बाद आने को कह दिया, लेकिन दोबारा मुलाकात के लिए वह मौजूद ही नहीं थे। इसके बाद पत्रकार ने एसीपी वीपी शर्मा को पूरा मामला बताया, जिन्होंने थाना प्रभारी से बात करने को कह दिया। इसके बाद जब पत्रकार ने सेंटर कोतवाली में पदस्थ राठौर से बात की तो उन्होंने यह कहकर टाल दिया कि वह 8 दिन से छुट्टी पर थे। इसके बाद जब पत्रकार ने एसीपी शर्मा से इस मामले में कार्रवाई का कहा तो उन्होंने पल्ला झाड़ दिया। इससे साफ जाहिर है कि जब एक पत्रकार को जान से मारने की धमकी दी गई है, तब भी पुलिस अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी ढोल रहे हैं, तो जब आम जनता उनके सामने अपनी फरियाद लेकर जाती होगी तो उनके साथ कैसा सुलूक किया जाता होगा?