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करीब आ गई वो घड़ी…अपने ‘चंद्रयान-3’ के लिए दुआएं कीजिए

चंद्रयान-3 मिशन आज अपने एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच गया है। चंद्रयान अब चांद के और करीब पहुंच चुका है। चंद्रयान को चंद्रमा की 153 किलोमीटर ७ 163 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित कर दिया गया। इसके साथ ही चंद्रमा की सीमा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो गई। अब चंद्रयान के प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर अलग होने के लिए तैयार हैं। यह चंद्रयान के लिए बेहद नाजुक मौका है। ऐसे में देशवासी दुआएं कर रहे हैं कि सब कुछ ठीक से हो। इसरो की तरफ से आज इन्हें अलग-अलग किया जाएगा। प्रोपल्शन से अलग होने के बाद लैंडर की अपनी प्रारंभिक जांच होगी। इसरो का कहना है कि लैंडर में चार मुख्य थ्रस्टर्स हैं। ये लैंडर को चंद्रमा की सतह पर आसानी से उतरने में सक्षम बनाएंगे। साथ ही अन्य सेंसर का भी परीक्षण करने की आवश्यकता है।
चंद्रयान-3 में एक प्रोपल्शन या प्रणोदक मॉड्यूल है। इसका वजन 2,148 किलोग्राम है। इसका मुख्य काम लैंडर को चंद्रमा के करीब लेकर जाने का था। अब चूंकि यह चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने वाला है तो इसे लैंडर से अब अलग किया जाएगा। वहीं, लैंडर का वजन 1,723.89 किलोग्राम है। इसमें एक रोवर शामिल हैं। रोवर का वजन 26 किलोग्राम है। भारत के तीसरे चंद्र मिशन का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारना है। इससे पहले लैंडर को ‘डीबूस्ट’ (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजरने की उम्मीद है, ताकि इसे एक ऐसी कक्षा में स्थापित किया जा सके जहां पेरिल्यून (चंद्रमा से निकटतम बिंदु) 30 किलोमीटर और अपोल्यून (चंद्रमा से सबसे दूर का बिंदु) 100 किलोमीटर है। चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर पर नियंत्रण खो देने की वजह से उसकी सॉफ्ट लैंडिंग की जगह क्रैश लैंडिंग हो गई थी। इसके बाद लैंडर दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया था।
कैसे आगे बढ़ा रहा चंद्रयान-
इसरो ने कहा कि 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रणोदन मॉड्यूल से लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की योजना है। चंद्रयान-3 का 14 जुलाई को प्रक्षेपण किया गया था। इसके बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया। इसके बाद इसने 6 अगस्त, 9 अगस्त और 14 अगस्त को चंद्रमा की अगली कक्षाओं में प्रवेश किया। इसके साथ ही वह चंद्रमा के और निकट पहुंचता जा रहा है।

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