भोपाल, इंदौर के बाद अब अमित शाह की अगली यात्रा ग्वालियर में इसी माह हो सकती है। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में कुल 34 विधानसभा सीटें हैं। पिछली बार सिंधिया साथ में थे, इसलिए कांग्रेस का प्रदर्शन इन दोनों क्षेत्रों में चमत्कारी रहा था, लेकिन अब सिंधिया भाजपा में हैं, यह भाजपा को अधिक सीटें मिलने का कारण बन सकता है। सिंधिया की काट के लिए ही पीसीसी चीफ कमलनाथ ने लहार सीट से सात बार के विधायक गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी देकर इन क्षेत्रों में कांग्रेस का प्रभुत्व स्थापित करने की चाल बहुत पहले चल दी थी। विधायक डॉ. गोविंद सिंह (71) की इन क्षेत्रों में सिंधिया के मुखर विरोधी की छवि तब से है, जब वो कांग्रेस की आंखों के तारे और गांधी परिवार में पुत्र समान दर्जा प्राप्त थे। अब जब कांग्रेस हर सभा में सिंधिया परिवार की गद्दारी का इतिहास सुनाती रहती है, ऐसे में गोविंद सिंह पर ही कांग्रेस को ग्वालियर-चंबल में अपनी जमीन मजबूत करने का भी भरोसा है।
ग्वालियर-चंबल में 8 जिले और विधानसभा की 34 सीटें हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए, तो यहां की 34 सीटों में से कांग्रेस ने 26 सीटें जीती थीं। बीजेपी को 7 सीट मिली थी। तब 2018 में अनुसूचित जाति, जन जाति और दलित वोटर भाजपा से नाराज था।
कमलनाथ सरकार गिरने के बाद प्रदेश की 28 सीटों पर हुए उप चुनाव में बीजेपी को 19 और कांग्रेस को 9 सीटें मिली थीं। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की 16 सीटों में से 7 सीट ही कांग्रेस को मिल पाई थी। उपचुनाव के परिणामों को भांप कर ही भाजपा ने इन क्षेत्रों पर फोकस कर दिया था। यही कारण है कि शिवराज सरकार में इस अंचल से 5 मंत्री हैं। वीडी शर्मा सांसद-प्रदेश अध्यक्ष हैं। नारायण सिंह कुशवाह पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष हैं। मोदी मंत्रिमंडल में ग्वालियर और चंबल का प्रतिनिधित्व करने वाले सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर मंत्री हैं। बीते लोकसभा चुनाव में गुना संसदीय क्षेत्र से सिंधिया को परास्त कर के भाजपा के केपी यादव ने इतिहास जरूर रचा था, लेकिन सिंधिया के भाजपा ज्वाइन करने के बाद से इस इतिहास पुरुष की चमक निरंतर फीकी होती जा रही है। उनके निकटस्थ सदस्यों के बढ़ते कांग्रेस प्रेम के चलते यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि सांसद भी कांग्रेस के हो जाएं तो बड़ी बात नहीं। इस तरह के धमाके अमित शाह की यात्रा के दौरान भी हो सकते हैं।
पिछली बार गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से मिली हार की फांस का ही दर्द है कि सिंधिया ने इस बार सारा फोकस ग्वालियर पर कर रखा है। तय माना जा रहा है कि वे ग्वालियर से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे।
गुना संसदीय क्षेत्र में आज तक सांसद यादव और सिंधिया समर्थकों के बीच तलवारें खिंची हुई हैं। ऐसे ही सारे कारणों से ग्वालियर-चंबल क्षेत्र भाजपा आलाकमान के लिए भी टेंशन का कारण बना हुआ है। क्षेत्र में कभी सांसद केपी यादव आरोप लगाते हैं कि सिंधिया खेमा उनके प्रोटोकॉल का ध्यान नहीं रखता तो कभी खुद सांसद ही केंद्रीय मंत्री सिंधिया का मान-सम्मान भूल जाते हैं।
पीएम मोदी ने रविवार को वर्चुअल संबोधन में रेलवे स्टेशनों के पुनरुद्धार की घोषणा की-गुना स्टेशन भी इसमें शामिल है। सांसद केपी यादव ने रेलवे स्टेशन पर भारी तामझाम कर रखा था। पीएम के आभार वाले पोस्टर-बैनर भी लगाए लेकिन किसी भी पोस्टर पर न तो केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का फोटो-नाम था और न ही उनके समर्थक-जिले के प्रभारी मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया का जिक्र था। सांसद प्रतिनिधि सचिन शर्मा ने बड़े शालीन तरीके से सांसद का आभार मानते हुए एक पोस्टर जारी करते हुए इन बड़े नेताओं को सम्मान ना देने की याद दिला दी। सांसद को उनकी यह भूल याद दिलाना इसलिए भी जरूरी था कि पहले जब सिंधिया समर्थक उनका नाम-निमंत्रण आदि जैसी अनिवार्यता भूल गए थे तो सांसद यादव ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा तक को चिट्ठी लिख दी थी।
सांवेर में फीकी क्यों हो रही है चमक
सांवेर में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को लेकर आए तुलसी सिलावट को भरोसा नहीं था कि भाजपा जिला अध्यक्ष राजेश सोनकर और राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त सावन सोनकर और उनके समर्थक कार्यक्रम से दूरी बना लेंगे। उपचुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज कराने वाले सिलावट का सांवेर में जादू नहीं रहा या पुत्र मोह के कारण क्षेत्र में हो रही किरकिरी से अवगत कराना उनके सलाहकार भूलते जा रहे हैं। यही सारे कारण हैं कि यहां भी महाराज भाजपा और नाराज भाजपा में दरार बढ़ती जा रही है। दूसरी तरफ कांग्रेस के हंसराज मंडलोई ने नाक में दम कर रखा है। ऐसा कोई महीना नहीं जाता, जब मंडलोई राज्य सरकार से लेकर सीएम हेल्प लाइन तक में क्षेत्र में अवैध खनन को लेकर शिकायतें ना भेजते हों।इन शिकायतों में मंत्री मंडली निशाने पर रहती है।
बस पुलिस ही नहीं समझ पा रही
सरकार का आदिवासी प्रेम
सरकार आदिवासियों पर प्रेम और खजाना लुटा रही है और विभाग हैं कि मुख्यमंत्री की भावना की ही अनदेखी करने का रिकार्ड बना रहे हैं। सिंगरौली भाजपा विधायक रामलल्लू वैश्य के बेटे विवेक ने एक आदिवासी सूर्या खैरवार को गोली मार दी। मुख्यमंत्री की भावना से ज्यादा विधायक के दबाव-प्रभाव का ही असर रहा कि विधायक के बेटे को फरार होने का पर्याप्त अवसर तो मिल ही गया। मन मार कर चार घंटे बाद पुलिस ने आदिवासी युवक की रिपोर्ट दर्ज करने का मन बनाया, लेकिन तब भी घायल युवक और उसके परिजनों पर यह दबाव बनाया जाता रहा कि वह विवेक पिता रामलल्लू साहू की नामजद रिपोर्ट के बदले हमलावर का नाम अज्ञात लिखा दे। समाज के लोगों के दबाव का ही असर रहा कि पुलिस नामजद रिपोर्ट लिखने पर मजबूर हो गई।