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Chhattisgarh Maoist attack: आमने-सामने की लड़ाई से भाग रहे हैं नक्सली, आईईडी ब्लास्ट पर इस वजह से कर रहे फोकस

Chhattisgarh Maoist attack: देश में करीब छह सौ से अधिक ब्लास्ट मामलों की जांच कर चुके एक अनुभवी बैलिस्टिक एक्सपर्ट कहते हैं कि आजकल नौसिखिये आतंकी और नक्सली ‘आईईडी/टिफिन’ बम का इस्तेमाल करने लगे हैं। कश्मीर, पंजाब, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों या उत्तर पूर्व में जितने भी राष्ट्र विरोधी समूह सक्रिय हैं, अब वे सीधे तौर पर सुरक्षा बलों के साथ टकराने से बचने लगे हैं…

देश में नक्सलियों के सामने नई भर्ती का संकट खड़ा हो गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल तक कह चुके हैं कि अब नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अंतिम लड़ाई है। माओवादी गतिविधियां, आखिरी चरण में हैं। इस वजह से नक्सली बौखलाहट में हैं। वे किसी भी तरह से अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं। पिछले कुछ समय से नक्सली दस्ते आमने-सामने की लड़ाई से भाग रहे हैं। उन्हें मालूम है कि सुरक्षा बलों के साथ सीधी लड़ाई में वे बच नहीं सकेंगे। इसी वजह से माओवादियों ने अब ‘आईईडी’ ब्लास्ट पर फोकस किया है। इसे किसी भी जगह पर दबा दिया जाता है। कोई भी दूर बैठा व्यक्ति इसे संचालित कर सकता है। सीआरपीएफ द्वारा गत वर्षों में हजारों ‘आईईडी/टिफिन’ बम बरामद किए गए हैं।

आईईडी विस्फोट तकनीक का इस्तेमाल

देश में करीब छह सौ से अधिक ब्लास्ट मामलों की जांच कर चुके एक अनुभवी बैलिस्टिक एक्सपर्ट कहते हैं कि आजकल नौसिखिये आतंकी और नक्सली ‘आईईडी/टिफिन’ बम का इस्तेमाल करने लगे हैं। कश्मीर, पंजाब, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों या उत्तर पूर्व में जितने भी राष्ट्र विरोधी समूह सक्रिय हैं, अब वे सीधे तौर पर सुरक्षा बलों के साथ टकराने से बचने लगे हैं। अगर कहीं पर एंबुश (घात लगाकर हमला करना) होता है, तो भी उसमें विस्फोटकों का ही अधिक इस्तेमाल होता है। सीधी मुठभेड़ में उन्हें सुरक्षा बलों के हाथों भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इसके चलते अब माओवादी संगठन, आईईडी विस्फोट तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भारी संख्या में ऐसे विस्फोटक तैयार कराए जा रहे हैं।

सौ मील दूर बैठकर किया जा सकता है विस्फोट

छत्तीसगढ़ में तैनात सुरक्षा बलों के एक बड़े अधिकारी का कहना है कि अब सीधी मुठभेड़ का दौर खत्म हो चला है। आईईडी तकनीक के द्वारा लगभग सौ मील दूर बैठकर विस्फोट किया जा सकता है। ऐसे में नक्सली, सुरक्षा बलों के सामने मरने के लिए क्यों आएंगे। आईईडी विस्फोट करने में टाइमिंग बहुत अहम पॉइंट है। एक्सपर्ट व्यक्ति ही इसे सुरक्षित तरीके से ब्लास्ट कर सकता है। भले ही देश में उच्च विस्फोटक जैसे आरडीएक्स/पीईटीएन आसानी से नहीं मिलते हैं, लेकिन कम क्षमता वाले विस्फोटक पोटाशियम, चारकोल, आर्गेनिक सल्फाइड, नाइट्रेट और ब्लैक पाउडर आदि से आईईडी और टिफिन बम तैयार कर लिए जाते हैं। छत्तीसगढ़ में तो पीडब्ल्यूडी एवं माइनिंग विभाग, कई तरह के विकास कार्यों में जिलेटिन स्टिक का इस्तेमाल करते हैं। इसकी मदद से इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस ‘आईईडी’, टिफिन बम और दूसरे तरह के प्रेशर बमों को तैयार किया जा सकता है।

इन तरीकों से संचालित होती है आईईडी

आईईडी को रिमोट कंट्रोल, इंफ्रारेड, मैग्नेटिक ट्रिगर्स, प्रेशर-सेंसिटिव बार्स या ट्रिप वायर की मदद से संचालित किया जा सकता है। कम आयु के नक्सलियों को रिमोट कंट्रोल से ही आईईडी विस्फोट करने की ट्रेनिंग दी जा रही है। प्रेशर कूकर बम कैसे तैयार होता है, ये भी उन्हें सिखाया गया है। आतंकी व नक्सली, यही तरीका प्रयोग में ला रहे हैं। बैलिस्टिक एक्सपर्ट के मुताबिक, आजकल टिफिन बम बड़े स्तर पर इस्तेमाल हो रहे हैं। रिमोट या टाइमर के द्वारा आसानी से यह ब्लास्ट हो जाता है। ऐसे ब्लास्ट तैयार करने के लिए नक्सलियों के पास कंटेनर, केमिकल, डेटोनेटर, इनिशिएटर और वायर सब कुछ होता है। डेटोनेटर को पावर देने के लिए माओवादी, ड्राई बैटरी सेल का इस्तेमाल कर रहे हैं। स्पेशल डेटोनेटर भी आने लगा है।

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