इलाहाबाद में कभी खौफ का दूसरा नाम रहे अतीक अहमद की आज उसी प्रयागराज में हत्या कर दी गई. जानिए कौन था अतीक अहमद और क्यों उसे कहा जाता था उत्तर प्रदेश का पहला गैंगस्टर….
गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद की शनिवार रात प्रयागराज में हत्या कर दी गई. पुलिस अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद को शनिवार 15 अप्रैल 2023 की रात मेडिकल के लिए लेकर जा रही थी. इसी दौरान उस पर हमला कर दिया गया और गोली लगने से दोनों की मौत हो गई. ज्ञात हो कि इससे पहले गुरुवार 13 अप्रैल 2023 को झांसी में हुए एक एनकाउंटर में अतीक अहमद का बेटा असद मारा गया था. असद के साथ अतीक अहमद का एक और गुर्गा ‘गुलाम’ भी था और दोनों एनकाउंटर में मारे गए थे. अतीक अहमद के बेटे के एनकाउंटर और उसकी स्वयं की हत्या के साथ ही उसके जराइम की दुनिया का भी अंत हो गया है. आइए जानते हैं अतीक अहमद कौन था और क्यों उसे उत्तर प्रदेश का पहला गैंगस्टर कहा जाता था….
कौन था अतीक अहमद
इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में अतीक अहमद खौफ का दूसरा नाम था. वह समाजवादी पार्टी का नेता था. इसी पार्टी के टिकट पर वह उत्तर प्रदेश विधानसभा और लोकसभा तक भी पहुंचा था. अतीक अहमद इलाहाबाद वेस्ट कॉन्स्टीट्वेंसी से रिकॉर्ड लगातार 5 बार विधायक चुना गया था. सबसे पहले वह 1989 में यहां से चुनाव जीता था. 1989 में वह निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता. इसके बाद राजनीति में उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 1989 में निर्दलीय विधायक चुने जाने के बाद अतीक अहमद अगले दो विधानसभा चुनावों में भी निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता. इसके बाद 1996 में उसने समाजवादी पार्टी के टिकट पर लगातार चौथी बार विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की. 1999 से 2003 तक वह सोने लाल पटेल द्वारा बनाए गए अपना दल का अध्यक्ष था. इक दौरान 2002 में अपना दल के टिकट पर वह पांचवीं बार विधायक बना……
उत्तर प्रदेश का पहला गैंगस्टर
न्यूज एजेंसी IANS की साल 2013 की एक रिपोर्ट के अनुसार पुलिस के रिकॉर्ड में अतीक अहमद पहला व्यक्ति था, जिस पर उत्तर प्रदेश में गैंगस्ट्र एक्ट (Gangster Act) लगा था. कहा जाता है कि साल 1979 में अतीक अहमद ने जु्र्म की दुनिया में कदम रखा. उस समय उस पर एक हत्या का आरोप लगा था. शनिवार 15 अप्रैल 2023 को अतीक अहमद की हत्या तक उस पर कुल 70 आपराधिक मामले (criminal cases) दर्ज थे. अतीक अहमद के खिलाफ सबसे ताजा मामला प्रयागराज के धूमनगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ था. यह मामला उमेश पाल हत्याकांड से जुड़ा था. बता दें कि उमेश पाल साल 2005 में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में मुख्य गवाह था….
राजू पाल की हत्या
25 जनवरी 2005 को बसपा नेता राजू पाल की हत्या कर दी गई. राजू पाल की पत्नी ने एफआईआर दर्ज करवाई, जिसमें अतीक अहमद, अशरफ और 7 अज्ञात लोगों के नाम दर्ज थे. राजू पाल की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई, क्योंकि उन्होंने साल 2005 में हुए उपचुनावों में इलाहाबाद वेस्ट सीट पर अतीक अहमद के भाई अशरफ को हराकर जीत दर्ज की थी. इलाहाबाद वेस्ट सीट अतीक अहमद के 2004 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद खाली हुई थी. अतीक के परिवार को लगता था कि वह यह सीट आसानी से जीत जाएंगे. लेकिन राजू पाल से हारने पर अतीक और उसके परिवार को झटका लगा, जिसका बदला राजू पाल की हत्या करके चुकाया गया. राजू पाल को उनके घर के पास ही गोली मारी गई थी. इस दौरान वह अपने दो साथियों संदीप यादव और देवी लाल के साथ अस्पताल से लौट रहे थे.
अतीक अहमद का सरेंडर
अतीक अहमद पर दंगे भड़काने, हत्या की कोशिश, हत्या और आपराधिक साजिश रचने सहित कई तरह के मामले दर्ज थे. राजनीतिक और पुलसिया प्रेशर के चलते आखिरकार साल 2008 में अतीक अहमद ने सरेंडर कर दिया. साल 2008 में ही समाजवादी पार्टी ने अतीक अहमद को पार्टी से निकाल दिया. मायावती ने भी उसे बसपा का टिकट देने से इनकार कर दिया. अतीक को किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया था. इसलिए उसे 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ने दिया गया. साल 2012 में वह छूटकर बाहर आया.
पॉलिटिक्स में री-एंट्री
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर समाजवादी पार्टी ने अतीक अहमद को श्रावस्ती सीट से अपना प्रत्याशी बनाया. इस चुनाव में अतीक अहमद को वोट तो मिले, लेकिन वह भाजपा के दद्दन मिश्रा के सामने करीब एक लाख वोटों से हार गया. इस हार के बाद अतीक अहमद का बुलंद सितारा ढलान की ओर आ गया. समाजवादी पार्टी में भी अखिलेश यादव के साथ उसके संबंध खराब रहने लगे. तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अतीक अहमद के क्राइम रिकॉर्ड्स को देखते हुए स्वयं को उससे दुर कर लिया.
14 दिसंबर 2016 को अतीक अहम अपने एक गुर्गे के साथ सैम हिंगिनबॉटम यूनवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंस पहुंचा और वहां स्टाफ को पीटा. खबरों के अनुसार यहां के स्टाफ ने दो स्टूडेंट्स को एग्जाम में बैठने देने से इनकार कर दिया था, क्योंकि वह दोनों नकल करते हुए पकड़े गए थे. यूनिवर्सिटी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, जिसमें अतीक अहमद वहां के टीचरों और कर्मचारियों को पीटता हुआ लिख रहा था.
पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव
10 फरवरी 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अतीक अहमद की क्रिमिनल हिस्ट्री मांगी और पुलिस सुप्रीटेंडेंट से सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने को कहा. अतीक अहमद को 11 फरवरी को ही गिरफ्तार कर लिया गया और फिर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भी भेज दिया गया. जेल में बंद होने के बावजूद अतीक अहमद ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ा. इस चुनाव में अतीक अहमद को 855 वोट मिले.
राजू पाल हत्याकांड
24 फरवरी 2023 को राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की प्रयागराज में हत्या कर दी गई. उमेश पाल के साथ ही उनके पुलिस सिक्योरिटी गार्ड की भी हत्या कर दी गई. इस संबंध में पुलिस ने अतीक अहमद, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, दोनों बेटों, उसके छोटे भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ और अन्य लोगों के खिलाफ 25 फरवरी को एफआईआर दर्ज की. इस हत्याकांड के बाद से ही अतीक का बेटा असद फरार था, जिसे यूपी-एसटीएफ ने झांसी में हुए एक एनकाउंटर में मार गिराया.