मध्यप्रदेश की नदियों को पुनर्जीवित और संरक्षित करने के लिए सरकार थ्री डी कार्ययोजना (मास्टर प्लान) तैयार करवा रही है। पहले चरण में नदी से संबंधित समस्त जानकारी (शुद्धता का स्तर, लंबाई, प्रमुख घाट, इनके आसपास आबादी, जलस्तर और जिलों से जुड़ा डाटा) एकत्र की जा रही है। यह भी देखा जाएगा कि नदियां कहां प्रदूषित हो रही हैं और कहां उनकी धारा टूट रही है। कार्ययोजना तैयार होने के बाद प्राथमिकता के आधार पर उनके संरक्षण के उपाय किए जाएंगे।
प्रदेश में 207 छोटी-बड़ी नदियां बहती हैं। पहले चरण में चंबल, ताप्ती, बेतवा, केन, तवा, सोन, क्षिप्रा, सिंध, वेनगंगा, शक्कर, कालीसिंध, वर्धा, कुंवारी, पार्वती, गार आदि नदियों की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। एक दर्जन से अधिक नदियों की स्थिति खराब है। कुछ की धारा अपने उत्पत्ति स्थल के करीब ही टूटने लगी हैं, तो कुछ उत्पत्ति स्थल के करीब से ही प्रदूषित हो गई हैं। इनमें सैकड़ों गंदे नाले मिल रहे हैं। इसका डाटा एकत्रित किया जा रहा है।
उद्गम से अंतिम छोर तक होगा सर्वे: नदी संरक्षण कार्ययोजना में नदियों के उद्गम स्थल से आखिरी छोर तक का सर्वे होगा। इसमें नदी की श्रेणी (रेतीली, चट्टानी, मैदानी, दलदली) देखी जाएगी। यह भी देखेंगे कि नदी में किस-किस प्रजाति के जलीय जीव, वनस्पति है। सहायक या उप नदियों का खाका भी तैयार होगा। कार्ययोजना में नदियों के प्रदूषण स्तर की अध्ययन रिपोर्ट होगी। हर महीने प्रदूषण के स्तर की जांच होगी। शहरों के मास्टर प्लान की तरह कार्ययोजना सैटेलाइट इमेज से तैयार होगी।
त्रि-आयामी नक्शों से मिलेगी जानकारी
नदी के उच्चतम बाढ़ स्तर से थ्री डी नक्शे को बनाने की प्लानिंग है। इससे नदी की वास्तविक स्थिति की जानकारी घर बैठे मिल सकेगी। पर्यावरण विभाग ने अब तक निकाले गए नदियों से जुड़े आदेश, प्रावधान और नदियों के संबंध में केंद्र के नियमों का अध्ययन प्रारंभ कर दिया है। प्रारंभिक खाका तैयार होने के बाद इससे जुड़े अन्य विभागों के अफसरों के साथ मंथन किया जाएगा। इसके बाद तय होगा कि कहां क्या काम किया जाना है।