सरकार को सलाह देने वाले यदि वाकई समझदार हैं तो छोटे दुकानदार, ठेले-वाहन पर व्यवसाय करने वाले खुदरा दुकानदार भी इतने नासमझ नहीं हैं, जो सरकार के ट्रेड लाइसेंस शुल्क (टीएलएफ) को आंख मूंद कर स्वीकार कर लें। यही वजह है कि इंदौर ही नहीं, पूरे प्रदेश में कारोबार पर कुठाराघात माने जा रहे टीएलएफ के खिलाफ व्यापारिक संगठनों में भड़की चिंगारी आग बनने वाली है। भाजपा नेताओं को आश्चर्य करना ही चाहिए कि चुनावी साल में सरकार ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने का यह निर्णय कैसे ले लिया? व्यापारी वर्ग को इस बात पर आश्चर्य करना चाहिए कि टीएलएफ की मार उन्हें तो तत्काल समझ आ गई, लेकिन फिर से सत्ता में आने के घुंघरू बांधे घूम रहे कांग्रेस के नेताओं को संपट क्यों नहीं बंध रही है? शायद कांग्रेस इसलिए बोलने से कतरा रही है कि उसके दिमाग में अब तक यह भरा हुआ है कि भाजपा तो व्यापारियों की पार्टी है, व्यापारियों के वोट जब मिलते ही नहीं तो क्यों बोलें ! कांग्रेस यदि अब भी किसानों के भरोसे है तो उसके रणनीतिकारों को यह भी पता होगा कि शहरों में भी मतदाता बसते हैं।
सत्ता-संगठन की जो रणनीति समझ आ रही है, वह यह है कि अगले कुछ दिनों तक टीएलएफ की आग को भड़कने दिया जाएगा, फिर व्यापारी संगठनों के साथ सरकार के प्रमुखों की द्विपक्षीय बैठक में टीएलएफ को स्थगित (समाप्त करने का नहीं) करने का निर्णय लेकर सरकार भी अपने इस वोट बैंक की नाराजी दूर कर देगी। निर्णय से खुश व्यापारी संगठन जय जयकार करने के साथ ही सरकार को जिले-जिले में सम्मान-आभार वाले इवेंट की राह दिखा देंगे। होना तो यह चाहिए था कि कानून के जानकार इंदौर के महापौर जब मुख्यमंत्री से इंदौर के मास्टर प्लान का अनुरोध करने गए थे, तब ही कान में फूंक देते कि टीएलएफ का निर्णय सरकार के लिए आत्मघाती हो सकता है।
महापौर ने आश्वस्त तो किया है कि टैक्स लागू नहीं करेंगे, लेकिन जानकार यह भी जानते हैं कि सरकार गजट नोटिफिकेशन जारी कर चुकी है। संभव है कि संगठन की गाइड लाइन का लिहाज कर के इंदौर सहित अन्य नगर निगमों के प्रथम नागरिक चुप रह गए हों, ताज्जुब तो इस बात का है कि विपक्ष के मुंह में भी दही जमा है और पैरों में मेहंदी लगी है। प्रदेश की किसी भी नगर निगम, पालिका आदि के नेता प्रतिपक्ष ने टीएलएफ जैसे निर्णय लेने वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए महापौरों पर दबाव लाने का साहस नहीं दिखलाया है। टीएलएफ में हर दो साल में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रावधान भी किया गया है। इसके लिए सरकार की तरफ से 18 अप्रैल 2023 को गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है।