नई दिल्ली, एजेंसी
अतीक अहमद और उसके भाई की हत्या करने वालों की कुंडली धीरे-धीरे खुल रही है। इनका आपराधिक बैकग्राउंड रहा है। इनके नाम लवलेश तिवारी, मोहित उर्फ सनी और अरुण मौर्य हैं। लवलेश बांदा, सनी हमीरपुर और अरुण कासगंज का रहने वाला है। जिस तरह से इन तीनों हमलावरों ने अतीक और अशरफ को चंद सेकेंड में लुढ़का दिया, उससे एक सवाल उठ रहा है।
सवाल यह है क्या इन अटैकर्स ने हत्या को अंजाम देने से पहले ट्रेनिंग ली थी? इन हमलावरों ने अतीक और अशरफ के बचने की जरा भी गुंजाइश नहीं छोड़ी थी। अतीक के सिर से बिल्कुल सटाकर गोली मारना दिखाता है कि ये क्राइम की दुनिया के पुराने खिलाड़ी थे। जिस आसानी से अटैकर्स ने अतीक का भेजा उड़ा दिया, वह किसी नौसीखिए के बस का नहीं था। अटैकर्स ने अतीक का भेजा उड़ाने के बाद भी उसे बख्शा नहीं और बाद में भी कई राउंड गोलियां चलाईं, यानि अटैकर्स पक्का करना चाहते थे कि किसी भी हाल में कम से कम अतीक तो नहीं बचना चाहिए। तीनों हमलावरों की क्राइम कुंडली कुछ-कुछ सामने आई है। हमीरपुर जिले के कुरारा कस्बे का रहने वाला सनी हिस्ट्रीशीटर है। कुरारा पुलिस थाने में इसकी हिस्ट्रीशीट नंबर 281ए है। सनी के खिलाफ तकरीबन 15 मुकदमे दर्ज हैं। गुजरे 10 साल से वह घर में नहीं रह रहा था। पिता और मां की मौत हो चुकी है। सनी का एक भाई मर चुका है। दूसरा भाई पिंटू चाय की दुकान चलाता है। सनी फालतू घूमता रहता था। कई साल पहले उसने घर छोड़ दिया था। अतीक और अशरफ पर तड़ातड़ गोलियां दागने वालों में दूसरा नाम बांदा के लवलेश तिवारी का है। घर से उसका लेनादेना नहीं था। एक मामले में वह जेल जा चुका था। उस पर चार केस दर्ज हैं। इनमें से एक केस लड़की को थप्पड़ मारने और शराब से जुड़ा था। तीसरा नाम कासगंज के अरुण उर्फ कालिया का है। वह छह साल से बाहर रह रहा था। अरुण के माता-पिता की मौत हो चुकी है। अरुण जीआरपी थाने में तैनात पुलिसकर्मी की हत्या कर चुका है। इसके बाद से वह फरार था। तीनों की ही पृष्ठभूमि देखें तो ये घर-परिवार से दूर थे। अभी इस तरह के सवाल बने हुए हैं कि ये तीनों साथ में कैसे मिले। जिस तरह से इन्होंने अचूक निशाना लगाकर अतीक और उसके भाई को एक झटके में ढेर कर दिया, उससे यह भी सवाल उठता है कि क्या इन तीनों ने कोई ट्रेनिंग ली थी?