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अब तक 35 हजार बैग मुफ्त बांटे

बीते कई सालों से मधुकांता भट्ट फटे-पुराने कपड़ों को इको-फ्रेंडली बैग में बदल रही हैं। इसका मकसद प्‍लास्टिक बैग का विकल्‍प देना है। इससे इन फटे-पुराने कपड़ों का भी इस्‍तेमाल हो जाता है। मधुकांता की उम्र 93 साल हो चुकी है। उन्‍हें सिलाई करना बहुत पसंद है। वह अब तक 35,000 से ज्‍यादा कपड़ों के बैग मुफ्ट बांट चुकी हैं। 2015 से एक दिन भी ऐसा नहीं गया जब उन्‍होंने बैग न सिला हो। सुबह नहाकर पूजा और फिर ब्रेकफास्‍ट करने के बाद वह सीधे अपनी सिलाई मशीन पर बैठ जाती हैं। वह चाहती हैं कि धरती से प्‍लास्टिक का बोझ जितना कम हो सकता है हो।

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