पाकिस्तान की सेना का भारतीय सेना से कोई मुकाबला नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान गोला-बारूद की कमी झेल रहा है और आर्थिक तंगी का शिकार है। यह बात पाकिस्तान के सेना प्रमुख रहे कमर जावेद बाजवा ने दो वरिष्ठ पाकिस्तानी पत्रकारों से कही थी। अब जबकि बाजवा अवकाश प्राप्त कर चुके हैं तब यह बात सार्वजनिक हुई है। इसे ब्रिटेन में पाकिस्तानी मीडिया यूके 44 ने सार्वजनिक किया है।
अजीत डोभाल के साथ हो रही थी गोपनीय वार्ता
पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर और नसीम जेहरा ने यूके 44 के शो में कहा, सन 2021 में जनरल बाजवा ने उन्हें बताया था कि वह भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ गोपनीय वार्ता कर रहे हैं। दोनों की वार्ता में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पाकिस्तान यात्रा की संभावना पर बात हो रही थी। दोनों देशों के बीच 2021 में घोषित युद्धविराम के बाद मोदी की यात्रा हो सकती थी।
इमरान खान को भी थी वार्ता की जानकारी
पाकिस्तानी पत्रकारों ने कहा, बाजवा ने कश्मीर पर हुई सौदेबाजी के बारे में पाकिस्तानी नागरिकों को कुछ नहीं बताया था। बाजवा और डोभाल के बीच चल रही वार्ता की जानकारी जब पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को हुई तो वे तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के पास पहुंचे और भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही वार्ता से खुद को अनभिज्ञ बताया। इस पर इमरान ने उनसे कहा कि भारतीय सुरक्षा सलाहकार से वार्ता होने की उन्हें जानकारी है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के पाकिस्तान दौरे को लेकर उनके पास पुष्ट सूचना नहीं है।
यूके 44 को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तानी पत्रकारों ने कहा, तत्कालीन सेना प्रमुख बाजवा पाकिस्तानी सेना की क्षमता को लेकर सशंकित थे। उन्होंने साफ कहा था कि पाकिस्तान भारत से युद्ध नहीं लड़ सकता है।
‘पाकिस्तानी सेना का भारतीय सेना से कोई मुकाबला नहीं’
जावेद मीर ने बताया कि बाजवा ने पाकिस्तान के सैन्य कमांडरों की बैठक में भी साफ कह दिया था कि पाकिस्तानी सेना का भारतीय सेना से कोई मुकाबला नहीं है। पुराने टैंक युद्ध में इस्तेमाल होने लायक नहीं हैं और उनके लिए पर्याप्त मात्रा में गोला-बारूद और डीजल भी नहीं हैं। बाद में बाजवा ने यह बात दोनों पत्रकारों से भी कही। कहा कि पाकिस्तान की सेना भारतीय सेना से मुकाबला करने में सक्षम नहीं है।
इसलिए ठीक रहेगा कि पाकिस्तान भारत के साथ टकराव का रास्ता छोड़े और सामान्य संबंध कायम करे। इस बीच कश्मीर समस्या का बातचीत के जरिये समाधान निकालने की कोशिश भी जारी रहे। अंग्रेजी अखबार डान के मुताबिक कुछ लोगों की राय है कि पाकिस्तान सरकार आम चुनाव टालने के लिए भारत के साथ युद्ध छेड़ सकती है लेकिन जमीनी हकीकत इसका समर्थन नहीं करती है।